राम लाल री राम राम जी,

Saturday, April 24, 2010

राजस्थान का ललित मोदी.

वाह रे ललित मोदी कल तक तो तुम्हारे राजस्थानी होने पर हम गर्व कर रहे थे पर, तुम्हारे कारनामे जैसे-जैसे सामने आ रहे हैं अब तो ख़ुद को गै़र-राजस्थानी बताना पड़ रहा है.

प्रभु ने तुम्हे नि:संदेह बुद्धी दी है पर, वो तुम्हें सद्बुद्धी भी दे..
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Sunday, April 18, 2010

आपकी पोस्ट पर लानत भेजता हूं

कई ब्लाग पोस्ट पढ़कर दिल तो करता है कि टिप्पणी दूं - "आपकी पोस्ट पर लानत भेजता हूं"...पर समाजकर्म है कि कुछ कहते नहीं बनता. कम से कम कविताओं के ढेरों ब्लागों की तो यही हालत है. एक से एक फुसफुसी तुकबंदियां...(हालांकि कविताओं के भी कुछ ब्लाग बहुत बेहतरीन हैं)

और उस पर तुर्रा ये कि अगर महिला कवियत्री हुई तब तो टिप्पणियों की बाढ़ सी ही आ जाती है. अरे भई बुरा नहीं कह सकते तो अच्छा तो मत बताओ. अभी नया-नया हूं इस दुनिया में...शायद मैं भी समझ जाउं धीरे-धीरे...
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अब पाकी क्या करेंगे ?

कल IPL के मैच के दौरान बैंगलोर में फटे दो बाम्ब के बावज़ूद न तो वहां कोई भगदड़ मची और न लोग घरों को लौटे. मैच भी हुआ और लोगों ने ठस्से से देखा भी.

पाकिस्तानी क्ल शाम से ज़रूर सिर खुजाते घूम रहे होंगे कि अरे ये क्या हो गया, भारतीयों ने तो डरना ही छोड़ दिया.  अमरीका को बैंगलोर के लोगों से सीख लेनी चाहिए जो वर्ना एक दशक से सनकियों की तरह पगलाया सा व्यवहार कर रहा है.
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Saturday, April 17, 2010

वाह भई मोदी ये क्या कर दिया

IPL में कुछ तो धांधली है, इसका विश्वास तो सभी को शुरू से ही था पर ये ललित मोदी इतना निरंकुश व्यवाहर करने लगेगा यह किसी ने नहीं सोचा था. ललित मोदी को याद रखना चाहिये कि राज्य से पंगा वही ले सकता है जिसके अपने दामन में दाग़ न हो.

शशि थरूर ने अगर कुछ ऐसा किया है जैसा कि ललित मोदी का आरोप है तो इसमें नई बात क्या है, राजनीतिज्ञ ऐसा तो करते ही आए हैं. सवाल बस इतना है कि एक तो चोरी दूसरे सीनाजोरी, ज़रा थोड़ी टेढ़ी खीर है. जहां तक इन्कम टैक्स की बात है, इस कानून के दांत कोई ख़ास नहीं हैं यह सभी जानते हैं, सिवाय टी.वी. चैनलों के.

अलबत्ता अगले साल से हो सकता है कि IPL की चमक धीमी पड़ने लगे.
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Wednesday, April 14, 2010

ऐसे में बेचारी कांग्रेस क्या करे.

कांग्रेस की प्रोग्रेसिव पहचान के चलते शशि थरूर आराम से इसमें चले आए. संयुक्तराष्ट्रीय छवि व मलियालम फ़ैक्टर के चलते केरल से लोकसभा की सीट भी निकाल लाए. पहली ही बार में गच्च से विदेश राज्यमंत्री पद का जुगाड़ हो गया.

पर अपने बड़बोलेपन और रंगीन मिजाज़ियों के चलते ये साहब अब कांग्रेस के गले की ही हड्डी बन बैठे हैं. कांग्रेस की भी मज़बूरी है कि कंगाली में आटा और गीला न होने पाए, यही सोच कर अभी तक इन साहब को सहन किय जा रहा है. देखिये कि ये काठ की हांडी कितनी देर और चलती है.
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Tuesday, April 13, 2010

राजनीति में भरोसा फिर क़ायम हो गया

किसी चैनल पर BJP का भंडाफोड़ देखा जिसमें कोई आरोपी बड़े बड़े कांग्रेसियों के नाम ले रहा था कि कैसे बंबई के पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति में उसने तीर मारे..कैसे वो इन्कम टैक्स के छापे से बच गया.

कल तक तो बेचारा जूदेव सिंह अकेला धरा जा रहा था.

बहुत अच्छा लगा ये जानकर कि हमारी राजनीति आज भी वहीं की वहीं है...अपनी ग़लीज दुनिया में. रिएश्योरिंग न्यूज़ के लिए टी.वी. चैनल का धन्यवाद.
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Saturday, April 10, 2010

गुड मार्निंग, सरकार !

76 पुलिस वालों को यूं घेर कर मार डालने के बावजूद क्या सरकार को ये लगता है कि नक्सलियों को हराने के लिये उसके पास कोई नीति है ? या यूं ही गाल बजाने से काम चलाते रहेंगी सरकारें !

सरकारों को याद रखना चाहिये कि पुलिस में केवल रोटी की चाह में भर्ती होने वालों की संख्या घट रही है. अब सिपाही भी खाते पीते घरों से आते हैं  और वे यूं गुफाकाल के हथियारों और सुविधाओं के साथ जीने को तैयार नहीं हैं. चेतने का समय निकलने नहीं देना चाहिये.
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