राम लाल री राम राम जी,

Wednesday, April 14, 2010

ऐसे में बेचारी कांग्रेस क्या करे.

कांग्रेस की प्रोग्रेसिव पहचान के चलते शशि थरूर आराम से इसमें चले आए. संयुक्तराष्ट्रीय छवि व मलियालम फ़ैक्टर के चलते केरल से लोकसभा की सीट भी निकाल लाए. पहली ही बार में गच्च से विदेश राज्यमंत्री पद का जुगाड़ हो गया.

पर अपने बड़बोलेपन और रंगीन मिजाज़ियों के चलते ये साहब अब कांग्रेस के गले की ही हड्डी बन बैठे हैं. कांग्रेस की भी मज़बूरी है कि कंगाली में आटा और गीला न होने पाए, यही सोच कर अभी तक इन साहब को सहन किय जा रहा है. देखिये कि ये काठ की हांडी कितनी देर और चलती है.
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