पर अपने बड़बोलेपन और रंगीन मिजाज़ियों के चलते ये साहब अब कांग्रेस के गले की ही हड्डी बन बैठे हैं. कांग्रेस की भी मज़बूरी है कि कंगाली में आटा और गीला न होने पाए, यही सोच कर अभी तक इन साहब को सहन किय जा रहा है. देखिये कि ये काठ की हांडी कितनी देर और चलती है.
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nice
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