राम लाल री राम राम जी,

Tuesday, October 26, 2010

रे ठण्ड कर दी.

भगवान जी, पहले तो तुमने बरसातें एक - डेढ़ महीने ज़्यादा कर दीं अब, लोगों को डेंगू-चिकुनगुनिया सुंघाते घूम रहे हो ! आख़िर तुम चाहते क्या हो ?

Wednesday, October 20, 2010

कसाब को आज़ाद कर दो


सउदी अरब के एक बिगड़े नवाबज़ादे ने 15 फ़रवरी को इंग्लैण्ड में अपने नौकर की हत्या कर दी और न्यायालय ने आज उसे उम्रक़ैद, जिसमें कम से कम 20 वर्ष की जेल तय, की सज़ा सुना दी. यह शख़्स साउद अब्दुलअज़ीज़ बिन नासेर अल साउद है जो कि साउदी अरब के सुल्तान अबदुल्ला के भाई का पोता है.

एक हम है कि आज पूरे दो साल बाद भी डेढ़ कौड़ी के कसाब से न्यायालयों के कैमरों पर थुकवाते घूम रहे हैं. इसमें सबसे मज़े की बात ये है कि हमारा क़ानून उन्हीं अंग्रेज़ों का बनाया हुआ है जो 9 महीने में न्याय करके परे मारता है और इस बात की चिंता तक नहीं करता कि साउदी अरब इंग्लैण्ड का "आतंक के विरूद्ध दोस्त" है या, अब उसे तेल मिलेगा कि नहीं.

इधर हम हैं कि पता नहीं पाकिस्तान से किस तेल की उम्मीद में एक सामूहिक नरसंहारी को टुकड़े डाले चले जा रहे हैं. अरे भई अगर फ़ैसला नहीं कर पा रहे तो इसे आज़ाद कर दो (लोग अपने आप देख लेंगे).
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Tuesday, October 19, 2010

इन्कम टैक्स के छापे पड़े

इन्कम टैक्स के छापों से, उम्मीद करनी चाहिये कि राष्ट्रमंडल खेलों में हुए हज़ारों करोड़ के घपलों से पर्दा उढेगा. हालांकि यह काफी देर से उठाया गया क़दम है क्योंकि इस बीच, धांधलेबाज़ों ने सारा माल सैट तो कर ही दिया होगा, सबूत भी कहां बचे होंगे.                                                                 00000000000000

Tuesday, October 5, 2010

वोडाफ़ोन से टैक्स ले लिया ?

हाल ही में समाचार पढ़ा कि बाम्बे हाई कोर्ट ने 12,000 करोड़ रूपये से ज़्यादा टैक्स के केस में आदेश वोडाफ़ोन के विरूद्ध पास कर दिया. सब टी0वी0 चैनलों ने भी खूब धमाल मचाया. क्या इन्कम टैक्स विभाग ने वोडाफ़ोन से ये टैक्स वसूल कर लिया ? सवाल ही नहीं उठता. सिस्टम ही ऐसा है कि कोई न कोई स्टे मिल ही जाएगा. कोई और छोटा आदमी होता तो टैक्स वाले उसकी जान खा गए होते अब तक.
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Sunday, October 3, 2010

भारत के बुद्धिजीवी.

10,000 पन्नों के अदालती निर्णय आने की ख़बर आते ही सभी टी0 वी0 चैनलों पर तरह-तरह के रंग-बिरंगे बुद्धिजीवियों की कतारें उग आई, जो गला फाड़ फाड़ कर हम मूढ़ प्राणियों को आज तक उस फ़ैसले का मतलब समझाए चले जा रहे हैं जबकि, इनमें से किसी भी चौधरी ने अदालती निर्णय ख़ुद ही आज तक नहीं पढ़ा है. लानत है.

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रेडि‍यो टीवी से दुनि‍या का पता चलता रहता है. कभी कभी अख़बार मि‍ल जाता है तो वो भी पढ़ लेता हूं.