राम लाल री राम राम जी,

Tuesday, October 26, 2010

रे ठण्ड कर दी.

भगवान जी, पहले तो तुमने बरसातें एक - डेढ़ महीने ज़्यादा कर दीं अब, लोगों को डेंगू-चिकुनगुनिया सुंघाते घूम रहे हो ! आख़िर तुम चाहते क्या हो ?

1 comment:

  1. राम लाल जी, अभी अछूतों में अपना खुद का छुआ-छूत मिटा नहीं है, आज भी मेहतर, पासी, बसर, चमार जातियों में रोटी-बेटी का रिश्ता नहीं है. वे भी एक दूसरे के हाथ का छुआ पानी नहीं पीते हैं फिर आप लोग हमेशा सामजिक समानता के लिए ठाकुर-ब्राह्मणों का अछूतों की बेटियों के साथ सम्बन्ध क्यों जोड़ने लगते हैं? बात समानता की हो रही है या असमानता की ये बात अलग है पर विचार आप खुद करिए कि जातिगत आधार पर आरक्षण का लाभ अछूतों के समाज में कितनों को मिल रहा है.....
    हमारे पास आंकड़े हैं कि महज चार फ़ीसदी अछूतों ने आरक्षण का लाभ पाया है>>>बाकी 96 को कौन लाभ देगा....ब्राह्मण से अछूत कन्या का विवाह इन 96 फ़ीसदी को लाभान्वित कर देगा?
    (ध्यान रखियेगा कि यदि किसी कारणवश अछूत कन्या का विवाह सवर्ण लड़के से हो गया तो उस बेचारी की औलादें तो आरक्षण के लाभ से वंचित रह जायेंगीं)

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