10,000 पन्नों के अदालती निर्णय आने की ख़बर आते ही सभी टी0 वी0 चैनलों पर तरह-तरह के रंग-बिरंगे बुद्धिजीवियों की कतारें उग आई, जो गला फाड़ फाड़ कर हम मूढ़ प्राणियों को आज तक उस फ़ैसले का मतलब समझाए चले जा रहे हैं जबकि, इनमें से किसी भी चौधरी ने अदालती निर्णय ख़ुद ही आज तक नहीं पढ़ा है. लानत है.
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