माधुरी गुप्ता सरीखे लोगों की सिविल सेवा की आकांक्षा जब पूर्ण नहीं होती व दोयम दर्ज़े की नौकरी करनी पड़ती है तो वे खुद को दूसरों के बराबर या उनसे भी अधिक सक्षम सिद्ध करने के हास्यास्पदात्मक मौक़े ढूंढते रहते हैं.
ऐसे में, शादीशुदा न होना एकाकीपन और बढ़ा देता है जिससे व्यक्ति भड़ास निकालने के नए नए तरीक़े ढूंढता रहता है. माधुरी गुप्ता को देशद्रोह तक में कोई दोष नहीं दिखा.
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सत्य वचन....
ReplyDeleteबात तो सही लगती है आपकी!
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