RTI की असफलता के कारणों में एक यह भी है कि कुछ लोगों ने तमाम ऊल-जुलूल क़िस्म की जानकारियां 10-10 रूपये में महज इसलिए मांगने का 'धंधा' अपना रखा है कि बाबुओं की नकेल कस कर रखी जा सके.
इस तरह के लोगों ने बाबुओं को 'डराने' वाले नामों की संस्थाएं बना ली हैं जिनमें एंटी-करप्शन, सिविल, विजीलेंस, कांग्रेस और भी न जाने इसी तरह के कितने ही शब्द जोड़ रखे हैं. इनकी अज़ियों में सूचना मांगने का लहज़ा धमकी भरा होता है मानो कह रहे हों कि बच्चू अब तुम्हारी नौकरी खा जाएंगे.
इस धंधे के ये माहिर, एक ही अर्ज़ी में इतनी तरह की जानकारी मांगते हैं कि अगर सभी कर्मचारी 24ओं घंटे भी जुटे रहें तो भी वह जानकारी 30 दिन में तो क्या सालों में भी नहीं दी जा सकती.
ऐसे में, पहले से ही मोटी चमड़ी वाले बाबू लोग भी हर तरह के हथकंडे अपना कर RTI सूचनाएं न देने या फिर आड़ी-तिरछी सूचनाएं देने के हथकंडे अपनाने से नहीं चूकते. इस सबके चलते, गेहूं के साथ-साथ घुन भी पिस रहा है.
दरअसल इन बाबुओं को हराम की खाने की आदत है तो ,ये जानकारी में अरंगा तो लगायेंगे ही ,रही बात धमकी की भाषा के RTI का तो लिखित में ही तो धमकी दे रहा है कोई और अगर ये बाबु इतने साफ हैं तो धमकी देने वालों के खिलाप कार्यवाही करे /
ReplyDeleteविचित्र संयोग है कि जब मैं अपनी पोस्ट टाइप कर रहा था उसी समय आपने समान विचारों की अपनी पोस्ट प्रकाशित कर दी.इससे मेरी यह धारणा और भी दृढ हुई कि 'आर.टी.आई.कार्यकर्ताओं' के कारण ही यह कार्यक्रम असफल हो रहा है.
ReplyDeleteकिसी भी क़ानून का दुरुपयोग हो सकता है. अनुभवों से सीखकर कानूनों को बेहतर और प्रैक्टिकल बनाया जाना चाहिए. बेहतर हो की सूचना पहले ही पारदर्शी हो ताकि ऐसे कानूनों की ज़रुरत ही न रहे.
ReplyDeleteअक्षय तृतीया की शुभकामनाएं!