कोई आलोक मेहता किसी अख़बार में ब्लागरों के बारे में कुछ उल्टा-सीधा लिख कर होली मना चलता बना.
बाद में पता कि हिन्दी ब्लागरों से पंगा लेने वाले ये सज्जन आजकल राजनीति के गलियारों में संसद-सदस्यता सूंघते घूम रहे हैं. ये पत्रकार टाइप कुछ हैं; यहां-जुगाड़ बिठाने में काबिल हैं और अब संपादकी कर रहे हैं. और अभी भी इसी मुग़ालते में घुले जा रहे हैं कि संपादक आज भी बहुत बड़ी तोप होता है जो लेखकों को लतिया सकता है :-)
कई ब्लागर आते-जाते ब्लाग-पोस्ट लिख एक चपत लगा चले आ रहे हैं इसलिए, एक मेरी भी सही.
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Swagat hai...
ReplyDeletenice
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