राम लाल री राम राम जी,

Monday, March 22, 2010

नौकरी साथ जाएगी

कुछ लोग कह गए कि साथ कुछ नहीं जाएगा. सब खाली हाथ जाएंगे. 

पर मेरे एक मित्र हैं जिन्हें लगता है कि शायद कुछ साथ जाए न जाए, नौकरी साथ ज़रूर जाएगी. चौबीसों घंटे नौकरीमय रहते हैं. न परिवार की परवाह न मित्रों की चाह. और भी बड़े आदमी बनके ही मानेंगे.


उन्हें यह भी ज़रूर लगता होगा कि अगर कुछ हो भी गया तो नौकरी उठा कर उन्हें अस्पताल ले जाएगी और इनके सिराहने बैठ चौबीसों घंटे इनका ध्यान रखेगी.


मुझे पता है कि आप ऐसे नहीं हैं !
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4 comments:

  1. मुझे पता है कि आप ऐसे नहीं हैं !
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    ओह, अच्छा है आपको सही सही पता नहीं है! :-)

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  2. हम तो ऐसे ही हैं, सॉरी!!

    हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!

    लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.

    अनेक शुभकामनाएँ.

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  3. हमारे यहाँ भी एक डॉक्टर साहब है जो हर वक़्त बिजी रहते है..पत्नी बच्चे सब छोड़ कर जा चुके है पर वो है की मानते ही नहीं..

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  4. भैया नौकरी से ही पेट पलता है। बुढापे में इसकी पेंशन से ही काम चलता है। बच्‍चे तो फुर्र हो जाते हैं इसलिए आम आदमी क्‍यों न करे चिन्‍ता नौकरी की?

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रेडि‍यो टीवी से दुनि‍या का पता चलता रहता है. कभी कभी अख़बार मि‍ल जाता है तो वो भी पढ़ लेता हूं.