न जाने कौन सा भ्रम है कि फूलों सी पालने के बाद भी मां-बाप अपनी बेटियों को विदेश ब्याह देते हैं.
इतनी ख़बरें रोज़ आती हैं कि इन बेटियों को विदेशों में जाने क्या-क्या सहना पड़ता है और मां-बाप हैं कि चाह कर भी अपने कलेजे के टुकड़े के लिए कुछ नहीं कर पाते.
सरकारों और कानूनों के सहारे रिश्ते भी चला करते हैं क्या !
भौतिकता व कथित समाजिक सम्मान पर ममता कब पार पाएगी ?
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सही बात है। धन्यवाद।
ReplyDelete"सरकारों और कानूनों के सहारे रिश्ते भी चला करते हैं क्या !"
ReplyDeletebilkil sahi, inke liye jo vishvaash ki jameen chaahiye wo apne desh me bhi(hi)mil skti hai.
kunwarji,
शुक्रिया ,
ReplyDeleteदेर से आने के लिए माज़रत चाहती हूँ ,
उम्दा पोस्ट .
aapki sabhi post acchi hain.