लेकिन ऐसी महिलाओं को बिना सांसद बने ही, कोई देख सीटी बजाए तो शायद इन्हें कोई एतराज़ नहीं है. साथ ही, बिना आरक्षण के जीत कर आने वाली महिलाओं पर कोई सीटी नहीं बजाएगा, इस बात की भी गांरटी है.
सीटीयां बजाने वाली प्रजाति को प्रणाम. भई ऐसी सोच वाले लोग किन कारखानों में बनाए जाते हैं, पता नहीं...
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