कुण्डा के आश्रम में मची भगदड़ में दसियों ग़रीबों के मरने की ख़बर पर कृपालु महाराज ने यूं पल्ला झाड़ लिया मानो मरने वाले अफ़गानी तालिबान रहे हों.
क्या फ़ायदा इतनी बड़ी प्रकांड पंडिताइ का कि आदमी ही आदमी न लगे बल्कि ग़ैरजि़म्मेदार ख़ैरात बटोरने वाली भावशून्य भीड़ लगे!
क्या इन कृपालु को किसी वेद-पुराण में यह पढ़ने को नहीं मिला कि ग़रीब इन्सान में भी वही आत्मा वास करती है जो ख़ुद में ? ये लोग समाज को क्या देंगे जो यूं पलायन कर भागते हैं.
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sateek aur sach kaha....
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