राम लाल री राम राम जी,

Sunday, March 21, 2010

बन्दूको की सलामी और जोकरई

अंग्रज़ों ने अपने समय के छुटभइए राजाओं को उल्लू बनाने के लिए तोपों की सलामी-प्रथा शुरू कर रखी थी. जो अंग्रेजों का जितना बड़ा पिट्ठू उसे उतनी ही ज़्यादा तोपों की सलामी. ये जोकर राजा इसी बात पर मूछों पर ताव दिए घूमते थे कि देखा उन्हें कितनी ज़्यादा तोपों की सलामी मिलती है ! अंग्रेज़ मुस्कुरा दिया करते थे.


अंग्रेज़ तो चले गए पर उनके पट्ठे आज भी सलामी लेते घूमते हैं, तोपें नहीं हुईं तो क्या हुआ कट्टे, दुनाली ही सही. आज भी एक तथाकथित भाजपाई नेता ने इसी सलामीबाज़ी के चलते मध्यप्रदेश में एक ग़रीब मरवा दिया.


सरकारें क्या इसे रोकने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट की लात की इंतज़ार में हैं !
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2 comments:

  1. यह खबर पढ़कर दुख हुआ......"
    amitraghat.blogspot.com

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  2. very bad ! this practice must be restricted if not abolished .

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रेडि‍यो टीवी से दुनि‍या का पता चलता रहता है. कभी कभी अख़बार मि‍ल जाता है तो वो भी पढ़ लेता हूं.